बी ए - एम ए >> एम ए सेमेस्टर-1 हिन्दी द्वितीय प्रश्नपत्र - साहित्यालोचन एम ए सेमेस्टर-1 हिन्दी द्वितीय प्रश्नपत्र - साहित्यालोचनसरल प्रश्नोत्तर समूह
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एम ए सेमेस्टर-1 हिन्दी द्वितीय प्रश्नपत्र - साहित्यालोचन
प्रश्न- साहित्य में मार्क्सवादी दृष्टिकोण पर प्रकाश डालिए।
उत्तर -
मार्क्सवाद का सम्बन्ध जीवन और जगत के प्रति नये दृष्टिकोण से है। इस वाद द्वारा प्रेरित साहित्य भौतिक जगत को सत्य मानता है तथा मानव समुदाय के मंगल की कामना करता है। जीवन के प्रति लौकिक दृष्टिकोण इस साहित्य का आधार है। मार्क्सवादी साहित्य न तो इतिहास की उपेक्षा करता है और न ही वर्तमान का अनादर तथा न ही भविष्य के रंगीन सपने बुनता है। वह तो इतिहास को वैज्ञानिक दृष्टि से जाँचते परखते हुए वर्तमान को समझने की कोशिश करता है और इसी के आधार पर भविष्य के लिए अपना मार्ग चुनता है। यही कारण है कि मार्क्सवादी काव्य में इतिहास चेतना अनिवार्य रूप से विद्यमान रहती है।
प्रगतिवादी काव्य सामाजिक यथार्थ पर केन्द्रित होता है। वह परिवेश के प्रति गहरा लगाव रखता है। मार्क्सवाद से प्रेरित साहित्यकार समाज को देखने के लिए वर्ग चेतन प्रधान दृष्टि रखता है।
एक बात ओर ध्यान में रखना चाहिए कि मार्क्सवाद को जो सौन्दर्य बोध से संपृक्त रहता है।
जीवन के प्रति मार्क्सवादी साहित्य का नजरिया बड़ा ही सकारात्मक है। इस धारा का साहित्यकार जीवन की स्वीकृति का रचनाकार होता है। जीवन धर्मी लगाव उसके यहाँ रेखांकित करने की चीज होती है।
मार्क्सवाद मानवतावादी भी है। लेकिन आँख मूँदकर वह मानव प्रेम में विश्वास नहीं करता। शोषण दमन उत्पीड़न करने वाले के प्रति गहरी घृणा एवं गरीब शोषित मेहनतकश और पीड़ित मानवता के प्रति गहरा प्रेम उनके मानवतावाद का आधार है। वह अपने को गरीब एवं मेहनतकश के साथ जोड़ना चाहता है, लेकिन न जुड़ पाने की स्थिति में आत्मग्लांनि से ग्रसित होता है मुक्ति बोध लिखते हैं।
इसलिए कि जो है उससे बेहतर चाहिए पूरी दुनिया साफ करने के लिए मेहतर चाहिए -
वह मेहतर मैं हो नहीं पाता,
पर रोज कोई भीतर चिल्लाता है
बशर्ते कि आदमी खरा हो
फिर भी मैं उस ओर अपने को ढो नहीं पाता।
मार्क्सवादी कवि यथास्थितिवादी नहीं होता है। वह सामाजिक परिवर्तन के पक्ष में होता है। सामाजिक परिवर्तन की उनकी कल्पना स्वच्छन्द स्वेच्छाचारी या अराजक नहीं है। वे वांछित दिशा में ही परिवर्तन की कल्पना करते हैं या प्रयत्न करते हैं। मार्क्सवादी साहित्यकार जानता है भविष्योन्मुखी दृष्टि के अभाव में परिवर्तन की कामना का कोई अर्थ नहीं है। मुक्तिबोध लिखते हैं -
अब अभिव्यक्ति के सारे खतरे उठाने ही होंगे
तोड़ने होंगे मठ और गढ़ सब
पहुँचना होगा दुर्गम पहाड़ों के उस पार।
तब कहीं देखने मिलेगी हमको
नीली झील की लहरीली थाहें
जिसमें कि प्रति पल कांपता रहता अरुण कमल एक ॥
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- प्रश्न- आलोचना को परिभाषित करते हुए उसके विभिन्न प्रकारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- हिन्दी आलोचना के उद्भव एवं विकास पर प्रकाश डालिए।
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- प्रश्न- द्विवेदी युगीन आलोचना पद्धति का वर्णन कीजिए।
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- प्रश्न- स्वच्छंदतावाद के अर्थ और स्वरूप पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- स्वच्छंदतावाद की प्रमुख प्रवृत्तियों का उल्लेख भर कीजिए।
- प्रश्न- स्वच्छंदतावाद के व्यक्तित्ववादी दृष्टिकोण पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
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- प्रश्न- स्वच्छंदतावादी काव्य कल्पना के प्राचुर्य एवं लोक कल्याण की भावना से युक्त है विचार कीजिए।
- प्रश्न- स्वच्छंदतावाद में 'अभ्दुत तत्त्व' के स्वरूप को स्पष्ट करते हुए इस कथन कि 'स्वच्छंदतावादी विचारधारा राष्ट्र प्रेम को महत्व देती है' पर अपना मत प्रकट कीजिए।
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- प्रश्न- 'स्वच्छंदतावाद प्रचलित मान्यताओं के प्रति विद्रोह करते हुए आत्माभिव्यक्ति तथा प्रकृति के प्रति अनुराग के चित्रण को महत्व देता है। विचार कीजिए।
- प्रश्न- आधुनिक साहित्य में मनोविश्लेषणवाद के योगदान की विवेचना कीजिए।
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- प्रश्न- द्वंद्वात्मक भौतिकवाद पर एक टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- ऐतिहासिक भौतिकवाद को समझाइए।
- प्रश्न- मार्क्स के साहित्य एवं कला सम्बन्धी विचारों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- साहित्य समीक्षा के सन्दर्भ में मार्क्सवाद की कतिपय सीमाओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- साहित्य में मार्क्सवादी दृष्टिकोण पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- मनोविश्लेषणवाद पर एक संक्षिप्त टिप्पणी प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- मनोविश्लेषवाद की समीक्षा दीजिए।
- प्रश्न- समकालीन समीक्षा मनोविश्लेषणवादी समीक्षा से किस प्रकार भिन्न है? स्पष्ट कीजिए।
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- प्रश्न- मार्क्सवादी साहित्य के मूल्याँकन का आधार स्पष्ट करते हुए साहित्य की सामाजिक उपयोगिता पर प्रकाश डालिए।
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- प्रश्न- हिन्दी आलोचक हजारी प्रसाद द्विवेदी का हिन्दी आलोचना के विकास में योगदान उनकी कृतियों के आधार पर कीजिए।
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